bhoot ki kahani Things To Know Before You Buy
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Bhoot ki kahani
बाइक रुकने के साथ वो मेर नजदीक आई और कहने लगी …. क्या आप मुझे थोड़ी दूर छोड़ दोगे ……? ऐसा कहकर उसने मुझसे लिफ्ट मांगी इसपर पहले तो मैं मना कर दिया लेकिन बाद मैं मैंने सोंचा एक अकेली औरत इतनी रात को अकेले बीएस का इंतज़ार कर रही है और दूर दूर तक किसी बस ,ऑटो या किसी दूसरी सवारी गाडी आने की की संभावना भी नहीं है , तो मैंने अपने मन मैं सोंचा की मुझे एक औरत की मदद करनी चाहिए ।
और अपने अपने मन में महामृत्युंजय का जाप करने लगे। टीचर ने बोला कि यहां पर कोई बातचीत नहीं करेगा। जब तक कि सुबह ना हो जाए । हम लोग एक हफ्ते के बाद पिकनिक से लौटकर । जब स्कूल में सबसे मिले । तो यह घटना सबको बता दी ।
उस स्टेशन पर ज्यादा पैसेंजर भी वेट नहीं करते थे। शहर की आबादी भी कम थी। रमेश इस बात से काफी नाराज था कि उसका ट्रांसफर ऐसी वीरान जगह पर कर दिया गया। एक रात रमेश खुद से ही बड़बड़ाता हुआ चला जा रहा था। क्या मुसीबत है?
रमेश घबराकर स्टेशन से भागने लगा। तभी उसका पैर एक लाश से टकरा गया और वह गिर पड़ा। उसने देखा कि सामने प्रसाद की लाश पड़ी थी और ऐसा लग रहा था कि उसे मरे हुए काफी दिन हो चुके थे। रमेश घबराकर उठने लगा और उठकर भागने लगा। लाश की आंखें खुली और वह रमेश के पैरों पर लिपट गई।
और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा। फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया।
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मेरा नाम हारिस हसन है , मैं पेशे से टीचर हूँ । मैं बचपन से भूत-प्रेत और आत्मा इन सब चीजों पर कभी विश्वास नहीं करता था लेकिन वो कहते हैं न की जब अपनी पर आती है तो नायकिन करने वाली चीजों पर भी यकीन करना पड़ता है ।
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जब गौरब घर के पास पहुँचा, तब उसे बहुत ठंड लग रही थी। घर बिखरा हुआ था, जिसमें टूटे हुए खिड़कियाँ थीं और एक दरवाजा था, जो खोलने पर जोर से आवाज करता था। गौरब सबधाणी से दरवाजा खोला और घर में दाखिल हुआ।
बच्चों ने मिलकर उस मंत्र को पड़ना शुरू किया। अचानक से एक रोशनी घर के अंदर आई और उस भुत को साथ ले गई। भुत के घर से बाहर जातेहि घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां अपने आप खुल गई और बच्चे दौर कर बाहर निकल आये।
दिन प्रति दिन अजीब-अजीब घटनाएँ बढ्ने लगी, और पूरा परिवार खौफ में जीने लगा। पमिनाबहन के परिवार ने पाठ पूजा, मंत्र हवन, करने से ले कर ओझा, ज्योतिष, सभी के दरवाजे खटखटाये पर पारलौकिक भुतहा घटनाएँ घटने की वजाये बढ्ने लगीं।
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